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पंजाब में गर्मी से बचने के लिए स्कूलों को जारी की गई एडवाइजरी, दिए गए ये खास निर्देश

चंडीगढ़: पंजाब के कई जिलों में दिन का तापमान अब 40 डिग्री के पार पहुंचने लगा है। यहां तक ​​कि घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। पंजाब के शिक्षा विभाग ने इस गर्मी के मौसम में छात्रों को गर्मी से बचाने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। यह छात्रों और शिक्षकों को बताता है कि उचित कपड़े पहनकर गर्मी से कैसे बचा जाए। विभाग ने तय किया है कि गाइड लाइन की कॉपी का पंजाबी में अनुवाद किया जाएगा। साथ ही इसे सभी स्कूलों में लागू किया जाएगा। सुबह की सभा और शारीरिक शिक्षा के समय में विद्यार्थियों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही विभाग ने आपके फोन पर मौसम के बारे में बताने वाला ऐप डाउनलोड करने का भी सुझाव दिया है। पानी का अधिकतम उपयोग करने की सलाह दी गयी है। साथ ही एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर आप हृदय, किडनी या लीवर की बीमारियों से पीड़ित हैं और कम पानी पीते हैं, तो ऐसे लोगों को डॉक्टरी सलाह के बाद तरल पदार्थ बढ़ाने के कदम उठाने चाहिए। एडवाइजरी में ओआरएस घोल के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। इसी तरह घर में तैयार तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी आदि का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही बाहर जाते समय हमेशा हल्के रंग के कपड़े पहनें। घर से बाहर निकलते समय सिर और हाथ अच्छे से ढके होने चाहिए। टोपी एवं छाते का प्रयोग करना चाहिए। आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे और त्वचा की सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग करें।

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स्कूलों में चलने वाले AC का खर्च उठाएं बच्चों के मां-बाप: हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूल द्वारा एसी सुविधा के लिए शुल्क वसूले जाने से रोकने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। इस दौरान अदालत ने कहा कि एसी (वातानुकूलन) का शुल्क अभिभावकों को ही देना होगा। दरअसल, दिल्ली के एक निजी स्कूल की ओर से कक्षाओं में वातानुकूलन के लिए प्रतिमाह 2,000 रुपये वसूले जाने के खिलाफ एक छात्र के अभिभावक ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का बच्चा नौवीं कक्षा में पढ़ता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि स्कूल में बच्चों को प्रदान की जाने वाली वातानुकूलन की सेवाओं की लागत माता-पिता को वहन करनी होगी, क्योंकि यह प्रयोगशाला शुल्क जैसे अन्य शुल्कों से अलग नहीं है। अदालत ने कहा कि स्कूल का चयन करते समय माता-पिता को स्कूल में बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं और लागत का ध्यान रखना होगा। ऐसी सुविधाएं प्रदान करने का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है। शिक्षा विभाग (डीओई) को मामले की जानकारी है और वह कार्रवाई रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। पीठ ने कहा कि अदालत इस जनहित याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं हैं और इसे खारिज किया जाता है।

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