नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों पर ब्याज दरें अभी भी वहीं रहेंगी। आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में यह फैसला लिया गया है। फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.50% पर स्थिर है।
आरबीआई ने यह फैसला मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए लिया है। दरों में कटौती से रुपये की कमजोरी बढ़ सकती है, जिससे आयात महंगा हो जाएगा और भारतीय कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है। आरबीआई का मुख्य फोकस अभी आर्थिक विकास पर है।
मौजूदा समीक्षा बैठक सोमवार से शुरू हुई थी और आज आरबीआई ने दरों पर अपना फैसला सुनाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर या फरवरी में होने वाली आगामी MPC बैठकों में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स (BPS) की कटौती की संभावना है।
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। यह दर देशभर में उधारी की लागत को प्रभावित करती है। रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से सस्ते में कर्ज मिलेगा और वे भी ग्राहकों को सस्ते में कर्ज दे सकते हैं।