अमृतसर: देश के सभी हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों को कृपाण पहनने से रोकने के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आदेश पर विवाद गहरा गया है। श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे सिखों के धार्मिक अधिकारों का हनन बताया है।
जत्थेदार ने कहा कि कृपाण सिखों का धार्मिक प्रतीक है और इसे धारण करना उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आदेश पहले भी जारी किए गए हैं, जो सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करते हैं।
भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। सिख धर्म में पांच ककारों में से एक कृपाण को धारण करना अनिवार्य है। यह आदेश सिखों के इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
इस आदेश के विरोध में विभिन्न सिख संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी उतर आए हैं। इनका मानना है कि सुरक्षा के नाम पर धार्मिक स्वतंत्रता को कुचला नहीं जा सकता।
सरकार का तर्क है कि यह आदेश हवाई अड्डों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए जारी किया गया है। हालांकि, सिख समुदाय का मानना है कि सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता दोनों को साथ-साथ लेकर चलना संभव है। सिख समुदाय और सरकार के बीच इस मुद्दे पर बातचीत की उम्मीद है। यह देखना होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाता है।