चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मकान मालिकों को एक बड़ी जीत दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी मकान मालिक को अपनी संपत्ति की सच्ची जरूरत है, तो वह किरायेदारों को बेदखल कर सकता है। लुधियाना में दो दुकानों के किरायेदारों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि किरायेदारों का यह दावा कि वे लंबे समय से दुकानें किराए पर ले रहे हैं, बेदखली को रोकने का कारण नहीं बन सकता।
1995 से दो दुकानें किराए पर ले रहे दो लोगों ने 2010 में मकान मालिक द्वारा बेदखली का नोटिस मिलने पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। किरायेदारों का कहना था कि वे इतने सालों से यहां व्यापार कर रहे हैं और उन्हें बेदखल करना गलत है। दूसरी ओर, मकान मालिक ने दावा किया कि किरायेदार किराया नहीं दे रहे हैं, दुकानें खराब हालत में हैं और उन्हें अपनी और अपने परिवार की जरूरत के लिए संपत्ति वापस चाहिए।
हाईकोर्ट ने मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर मकान मालिक को अपनी संपत्ति की सच्ची जरूरत है, तो वह किरायेदारों को बेदखल कर सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि किरायेदारों का यह दावा कि वे लंबे समय से दुकानें किराए पर ले रहे हैं, बेदखली को रोकने का कारण नहीं बन सकता।
यह फैसला मकान मालिकों के लिए एक बड़ी जीत है क्योंकि अब वे अपनी संपत्ति को अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि, किरायेदारों के लिए यह फैसला निराशाजनक हो सकता है।